Sunday 18 March 2012

HOT SEXY STORY IN HINDI PART-10


HOT SEXY STORY IN HINDI PART-10

मेरी मालिश उसकी चाहत

प्रेषक :RONIT_OO7
काफी दिनों बाद अपनी नई कहानी भेज रहा हूँ और उम्मीद करता है कि आप सबको पसंद आयेगी।
इस बार काफी दिनों बाद मुझे एक कॉल मिला, मैं भी बिना किसी काम के बेकार बैठा था, मेरे दलाल ने मुझे बता दिया था कि एक शादीशुदा महिला है, नाम (बदला हुआ) रीमा, शहर लखनऊ की हैं, बात करेंगी और जैसा हो तय कर लेना।
मैं इसके लिए तैयार हो गया। उसी रात रीमा का फोन आ गया और उसने बताया कि वह मुझे बुला कर अपनी शरीर की प्यास बुझाना चाहती है।
मैं बोला- आप जब चाहेंगी मैं आ जाऊँगा।
वह बोली- आप अगर आ सको तो सोमवार को आ जाओ और बुधवार को शाम चले जाना।
मैं बोला- ठीक ! इसका मतलब आप तीन दिन के लिए मुझे अपने साथ रखेंगी। मैं आ जाऊँगा, आप अपना पता और मैं कैसे आप तक पहुँचूंगा, बता देना।
वह बोली : मेरा नंबर आप सुरक्षित कर लो और जब आना तो एक फोन कर लेना मैं आपको ले लूंगी।
सोमवार को मैंने तैयार होकर उसको फोन किया और बोला- आप बताओ, मैं आ रहा हूँ !
बोली- आप कहाँ हो?
मैं बोला- चार बाग पर हूँ !
उसने वहीं रुकने को कहकर फोन काट दिया।
मैं वहाँ खड़े खड़े एक घंटा बीत गया। मैं ऊबने लगा, सोचा फिर फोन करता हूँ, लेकिन 15 मिनट बाद उसका फोन आया- आप जहाँ भी हैं। रेल-आरक्षण वाली तरफ आ जाओ, वहाँ लाल मारुति दिखेगी।
मैं तुरंत उधर गया तो सामने ही लाल कार थी, मैंने फोन लगाया, बोला- मैं सामने खड़ा हूँ, आप दरवाजा खोल दें।
उसने कार खोल दी मैं तुरंत अंदर बैठ गया।
हम लोग पौने घण्टे में उनके घर पहुँच गए। अंदर आकर उन्होंने मुझे अपना कमरा दिखाया और कहा- आप यहाँ फ्रेश हो लो ! फिर बात करतें हैं।
और वह कमरे से निकल कर अपने दूसरे काम में लग गई।
मैं बाथरूम में गया, गर्म पानी से अच्छे से नहा कर बाहर आया। रीमा भी काम समेट कर आ गई। घर काम करने वालों को उसने तीन दिन की छुट्टी दे दी।
उसने मुझे बताया कि उसका पति स्वस्थ है लेकिन सेक्स में कुछ भी समय नहीं देता, अपने काम में लगा रहता है, अगर दिया तो भी दस मिनट और फिर सो गया या फिर कोई आ गया या फिर काम पर निकल गया, घर पर समय नहीं देता। कोई बच्चे नहीं हैं, शादी हुए आठ साल हो गये।
मैंने कहा- क्या आप या आपके पति बच्चे नहीं चाहते?
तो बोली- क्यों नहीं, लेकिन सारी कोशिश बेकार हो गई।
मैं बोला- क्या मैं आपकी सहायता करूँ?
तो वह बोली- कैसे?
मैं बोला- अगर आप चाहें तो आपको मैं अपना वीर्य दे सकता हूँ।
रीमा बोली- ठीक है, लेकिन हो सकेगा?
मैं बोला- अगर आप कहो तो !
उसने कहा- ठीक है !
फिर हम लोग खाना खाकर अपने कमरे में गए। रात हो रही थी, आठ बज गए थे, मैं बोला- आपकी सेवा करूँ?
बोली- हाँ, उसी के लिए आये हो।
मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार कर पायजामा खोल दिया और अन्डरवीयर में उसके सामने खड़ा हो गया, उसको बोला- क्या आप कुछ अलग चाहेंगी।
उसने कहा- अब तुम्हारा घर है, तुम जो चाहो करो।
मैं उसको पूछा- कोई तेल है?
उसने बताया- हाँ है।
और उसने मुझे तेल की शीशी दे दी।
मैंने उससे पूछा- लाइट हल्की कर दूँ?
और फिर उसको लेटा कर उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको तेल लगाना शुरु किया और कंधे से लगाते हुए उसके चूतड़ों तक आया और वहाँ पर लगाने के बाद पैरों की तरफ गया।
उसको मजा आ रहा था, उसकी आवाज नहीं निकल रही थी, बिल्कुल शांत थी।
फिर मैं बोला- आप सीधी लेट जाएँ।
वह पलट गई। क्या बड़े बड़े चूचे थे मस्त और बुर पर झांट भरी पड़ी थीं।
मैं बोला- क्या आपकी झांट साफ़ कर दूँ?
उसने कहा- अब तुम जो करो, मैं तैयार हूँ।
मैं अपने साथ शेविंग किट लाया था, उसको निकाला और गर्म पानी के साथ झाग बनाकर रीमा की झांट पर लगाने लगा। उसको इतना करने से ही सिरहन आने लगी।
फिर क्या था, मैं भी उसको खूब ब्रश से अच्छे से रगड़ने लगा। उसकी बुर के अंदर तक ब्रश जा रहा था। वह लाल हुई जा रही थी।
उसको इतना मजा आ रहा था कि उसी में कहने लगी- आज कुछ कर दो इसके अंदर।
फिर अपना रेज़र लेकर उसके बाल साफ़ करने लगा। बार बार पानी से रेज़र धोना पड़ रहा था।
उसके बाल साफ करने के बाद जब बुर की नोक पर साफ़ करने लगा तब वहां सावधानी से उसके बुर की किनारी एक हाथ से पकड़ी और फिर उसके बाल साफ़ करने लगा। उसके किनारी इतनी चिकनी थी कि बार बार छूट जाती थी हाथ से ! फिर भी उसको पूरा अंदर तक साफ़ कर दिया।
फिर तौलिए से ऊपर पौंछा और फिर उसकी बुर के अंदर डाल कर सब साफ़ किया। वह मजा लेकर सफाई करवा रही थी।
फिर तेल लिया और उसकी छाती पर लगाया और उसकी चूची पर लगाया और मसलने लगा। उसका खूब मालिश करने से ही उसका पानी निकल पड़ा था।
धीरे से नीचे हाथ लगाया और उसके बुर पर हाथ फेरने लगा। तेल हाथ में लेकर उसके बुर पर डाला और उसकी बुर की मालिश करने लगा। उसकी बुर की मालिश करते करते रात के दस बज गए। वह अपनी बुर की प्यास बुझाना चाह रही थी, उसने कहा- अब मालिश कल कर लेना, आज बुर की प्यास बुझा दो।
और फिर मेरे लिंग को अपने हाथ से लेकर उस पर तेल लगा कर उसकी मालिश करने लगी। मेरा लिंग तन गया।
फिर क्या था उसका पानी निकल रहा था, वो थक चुकी थी, क्या करता, डाल दिया और वह भी अपने आप से ही उचक उचक कर मजा लेने लगी।
वह अपना पानी गिराने वाली थी कि मैं बोला- रुको ! और उसकी चूत को अपने मुँह पर सटा लिया, उसने अपना पानी जब गिराया तब वह हल्का गाढ़ा था और हल्का दूधिया था, उसका स्वाद भी थोड़ा अलग था, उसमें अजीब सी महक थी जो मदहोश कर दे। उस पानी को मैं चाट गया। इसे देख कर रीमा के अंदर एक जोश भर गया और वह फिर चुदने को बैठ गई और मेरे लिंग को जो ठंडा हो गया था, चूस कर तैयार किया और फिर अपनी चूत के अंदर डाल लिया।
उसने खूब मजा लिया, मेरा पानी गिरने को था तो उसने कहा- अब आप पानी बाहर न गिरने देना, सब चूत में डालना है, मुझे बच्चा लेना है।
और फिर मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। उसने भी अपना पानी गिरा दिया था। मेरा पानी भी उसमें भर कर बाहर आने लगा तो रीमा ने जल्दी से एक तकिया लिया और अपने कमर के नीचे लगा लिया जिससे उसकी चूत ऊंची हो गई और पानी बाहर आना बंद हो गया।
वह भी थक कर चूर हो गई थी, मैं भी। हम लोग नंगे ही सो गये और सुबह देर से जगे।
सुबह ठण्ड ज्यादा थी, मन नहीं कर रहा था कि उठें।
हम लोग देर से सो कर उठे, नहा कर नाश्ता किया और फिर बाहर घूमने निकल गए। सहारागंज में घूमे और कुछ सामान खरीदा और फिर वहीं खाना खाकर घर आ गये और अपने कमरे में जाकर आराम करने लगे। हम दोनों ही सो गये। शाम के चार बजे आँख खुली तो देखा कि रीमा कमरे में ही बैठी है।
मैं बोला- आप कब उठी?
रीमा बोली- बस मैं भी अभी जगी।
मैं बोला- आप कुछ लेंगी चाय या कॉफ़ी।
वह बोली- आप क्या लोगे?
मैं बोला- कॉफ़ी।
रीमा बोली- लाती हूँ !
और चली गई, पाँच मिनट में वह कॉफ़ी बना कर ले आई। हम दोनों ने कॉफ़ी पी और फिर मैंने उसको कहा- चलो कुछ मालिश हो जाये।
वह तैयार हो गई।
कमरे में जाकर उसको बिस्तर पर लेटा दिया और तेल हाथ में लेकर उसके ऊपर डाल दिया।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैं भी चड्डी में था। चुपचाप तेल लगाने के बाद उसकी गांड को तेल पिलाया, साथ में उसके बुर के अंदर तेल भर कर उसको पलट दिया और उसकी बुर की मालिश करने लगा।
उसको पैर को फैला कर लेटने को कहा, उसकी बुर गुलाबी साथ में काले रंग की उसकी पंखुड़ियाँ थीं।
मैं उसकी पंखुड़ियों की मालिश करने लगा। एक पंखुड़ी पकड़ कर दूसरे हाथ से उसकी मालिश कर दी। फिर दूसरी की। तकरीबन 15 मिनट इसी तरह करता रहा फिर उसके दाने की मालिश की। उसका दाना मालिश के कारण लाल हो गया था और उसको मजा आ रहा था। फिर धीरे से उसकी बुर के अंदर उंगली डाल कर उसके अंदर का फूल छुआ। वह गिनगिना गई। धीरे धीरे उसके फूल को मालिश देने लगा।
वह ऐंठ गई और बोली- अब मालिश रोक कर मेरे अंदर अपना फल लगा दो !
और फिर मैंने उसके ऊपर चढ़ कर अपना लण्ड उसके अंदर डाल दिया, उसको कस कर चोदा।
आगे की कहानी अगली बार ......
आपको कहानी कैसी लगी?

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HOT SEXY STORY IN HINDI PART- 9

HOT SEXY STORY IN HINDI PART- 9

एक के ऊपर एक..!!


प्रेषक : RONIT_OO7
मेरा नाम अर्जुन है, मैं शहर में काम करता हूँ।
मेरी चचेरी बहन का नाम शिप्रा है, वो बहुत ही सेक्सी है।
मैं आपको एक बार की बात बताता हूँ, शिप्रा एम बी ए करके घर आई हुई थी और मैं भी घर पर ही था। जब भी वो नहा कर निकलती, मैं उसे जरूर देखता और आँखों आँखों में उसे नंगी करके चोदने लगता।
मैं हमेशा उसके करीब जाने की कोशिश करता पर घर पर काफ़ी लोग होने की वजह से गड़बड़ हो जाती। अब मुझे पता चला कि उसे बैंक सर्विस के लिए तैयारी करनी है।
तो मैंने कहा- जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ काफी कोचिंग संस्थाएँ हैं और मैं भी काफी अच्छे से तैयारी करा दूँगा।
पर मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे !
पर घर में कई लोगों ने कहा- शिप्रा को अलग कमरा दिला देना।
मुझे इससे बेचैनी होने लगी, मैंने कहा- अलग अलग रहेंगे तो खर्चा दोगुना होगा, साथ साथ रह लेंगे घर पर !
सब मान गए, पर घर से दोनों को सब सामान अलग अलग मिल गया जिससे कोई चीज़ आपस में बाँटना न पड़े।
अब हम दोनों शहर आ गए, शिप्रा ने कोचिंग में प्रवेश ले लिया, मैं काम पर चला जाता, शाम को शिप्रा को थोड़ा पढ़ा देता।
क्योंकि हमारे पास बेड था तो मैं रात को उसे छू लेता था, वो मेरा हाथ हटा देती थी।
फिर दिसम्बर का महीना आ गया, ठण्ड बहुत बढ़ गई। शिप्रा और मुझे दोनों को ठण्ड लगती रहती थी तो मैंने शिप्रा से कहा- दोनों रजाई एक के ऊपर एक करके एक साथ सो जाते हैं।
शिप्रा मान गई।
अब क्या था !
शिप्रा ने उस रात मरजीना सलवार-टॉप पहना था। कुछ देर बाद वो सो गई, मैं भी सो गया। रात को उसका पैर मेरे पैर पर लगा मेरी आँख खुल गई। मेरा बदन गर्म होने लगा, मैं धीरे धीरे उसके पैर पर पैर घुमाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया, शायद वो सोई हुई थी।
फिर मैं धीरे धीरे उसकी सलवार अपने पैर से घुटनों तक ऊपर ले आया। फ़िर मैंने उसके पेट पर हाथ घुमाना शुरु किया। उसका पेट बहुत मुलायम था, मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूची पर हाथ रखा, मुझे डर लग रहा था पर मजे के कारण मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था।
मैंने उसकी चूची जोर से दबा दी, वो सिहर उठी, बोली- भाई, यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! तुम भी मजे लो !
वो मना करने लगी, उसने कहा- कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- उसका उपाय है मेरे पास !
बहुत मुश्किल से ही सही पर वो मान गई।
मैंने पहले उसकी सलवार उतारी, फिर मैंने उसका टॉप उतारा। वो सफ़ेद ब्रा और लाल पैंटी में थी, बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैं उसे इस रूप में देखते ही झड़ गया।
अब मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया फिर उसने मुझे नंगा किया। वो मेरा लण्ड देख कर डरने लगी, कहने लगी- यह तो बहुत बड़ा है, बहुत दर्द होगा, मेरी तो फट जाएगी?
मैंने कहा- अगर दर्द होगा तो मैं नहीं करूँगा।
वो मान गई।
अब मैं उसकी जांघों पर हाथ घुमाने लगा, वो गर्म होने लगी। मैं उसके होंठ चूमने लगा तो वो पूरी गर्म हो गई।
अब मैंने उसे सीधा किया और पैर मोड़ कर उठाने के लिए कहा।
उसने ऐसा ही किया। मैंने अपना लण्ड क्रीम लगा कर उसकी चूत पर सटा दिया, उसकी चूचियाँ दबाता रहा और होंठों पर चुम्बन करता रहा। फ़िर धीरे से धक्का मारा तो शिप्रा को काफी दर्द हुआ।
वो चीखने लगी तो मैं रुक गया, एक-दो मिनट मैंने कुछ नहीं किया। जब वो शांत हो गई तो मैंने फिर धक्का मारा और इस बार पूरा लण्ड शिप्रा की योनि में जा चुका था और वो जोर से चिल्लाई।
मैंने उसके मुँह पर अपने होंठ रख दिए और कस कर चुम्मा लेने लगा।
जब उसका दर्द कम हो गया तो मैंने धक्के मारने चालू किए और पाँच मिनट बाद हम दोनों झड़ने वाले थे, मैंने कहा- अपना अमृत रस कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- अंदर ही छोड़ दो !
मैंने ऐसे ही किया, और वो हँसते हुए मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी।
फिर उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा।
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Friday 16 March 2012

HOT SEXY STORY IN HINDI PART-8{PDF}

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मेरी मालिश उसकी चाहत

प्रेषक :RONIT_OO7

 

काफी दिनों बाद अपनी नई कहानी भेज रहा हूँ और उम्मीद करता है कि आप सबको पसंद आयेगी।
इस बार काफी दिनों बाद मुझे एक कॉल मिला, मैं भी बिना किसी काम के बेकार बैठा था, मेरे दलाल ने मुझे बता दिया था कि एक शादीशुदा महिला है, नाम (बदला हुआ) रीमा, शहर लखनऊ की हैं, बात करेंगी और जैसा हो तय कर लेना।
मैं इसके लिए तैयार हो गया। उसी रात रीमा का फोन आ गया और उसने बताया कि वह मुझे बुला कर अपनी शरीर की प्यास बुझाना चाहती है।
मैं बोला- आप जब चाहेंगी मैं आ जाऊँगा।
वह बोली- आप अगर आ सको तो सोमवार को आ जाओ और बुधवार को शाम चले जाना।
मैं बोला- ठीक ! इसका मतलब आप तीन दिन के लिए मुझे अपने साथ रखेंगी। मैं आ जाऊँगा, आप अपना पता और मैं कैसे आप तक पहुँचूंगा, बता देना।
वह बोली : मेरा नंबर आप सुरक्षित कर लो और जब आना तो एक फोन कर लेना मैं आपको ले लूंगी।
सोमवार को मैंने तैयार होकर उसको फोन किया और बोला- आप बताओ, मैं आ रहा हूँ !
बोली- आप कहाँ हो?
मैं बोला- चार बाग पर हूँ !
उसने वहीं रुकने को कहकर फोन काट दिया।
मैं वहाँ खड़े खड़े एक घंटा बीत गया। मैं ऊबने लगा, सोचा फिर फोन करता हूँ, लेकिन 15 मिनट बाद उसका फोन आया- आप जहाँ भी हैं। रेल-आरक्षण वाली तरफ आ जाओ, वहाँ लाल मारुति दिखेगी।
मैं तुरंत उधर गया तो सामने ही लाल कार थी, मैंने फोन लगाया, बोला- मैं सामने खड़ा हूँ, आप दरवाजा खोल दें।
उसने कार खोल दी मैं तुरंत अंदर बैठ गया।
हम लोग पौने घण्टे में उनके घर पहुँच गए। अंदर आकर उन्होंने मुझे अपना कमरा दिखाया और कहा- आप यहाँ फ्रेश हो लो ! फिर बात करतें हैं।
और वह कमरे से निकल कर अपने दूसरे काम में लग गई।
मैं बाथरूम में गया, गर्म पानी से अच्छे से नहा कर बाहर आया। रीमा भी काम समेट कर आ गई। घर काम करने वालों को उसने तीन दिन की छुट्टी दे दी।
उसने मुझे बताया कि उसका पति स्वस्थ है लेकिन सेक्स में कुछ भी समय नहीं देता, अपने काम में लगा रहता है, अगर दिया तो भी दस मिनट और फिर सो गया या फिर कोई आ गया या फिर काम पर निकल गया, घर पर समय नहीं देता। कोई बच्चे नहीं हैं, शादी हुए आठ साल हो गये।
मैंने कहा- क्या आप या आपके पति बच्चे नहीं चाहते?
तो बोली- क्यों नहीं, लेकिन सारी कोशिश बेकार हो गई।
मैं बोला- क्या मैं आपकी सहायता करूँ?
तो वह बोली- कैसे?
मैं बोला- अगर आप चाहें तो आपको मैं अपना वीर्य दे सकता हूँ।
रीमा बोली- ठीक है, लेकिन हो सकेगा?
मैं बोला- अगर आप कहो तो !
उसने कहा- ठीक है !
फिर हम लोग खाना खाकर अपने कमरे में गए। रात हो रही थी, आठ बज गए थे, मैं बोला- आपकी सेवा करूँ?
बोली- हाँ, उसी के लिए आये हो।
मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार कर पायजामा खोल दिया और अन्डरवीयर में उसके सामने खड़ा हो गया, उसको बोला- क्या आप कुछ अलग चाहेंगी।
उसने कहा- अब तुम्हारा घर है, तुम जो चाहो करो।
मैं उसको पूछा- कोई तेल है?
उसने बताया- हाँ है।
और उसने मुझे तेल की शीशी दे दी।
मैंने उससे पूछा- लाइट हल्की कर दूँ?
और फिर उसको लेटा कर उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको तेल लगाना शुरु किया और कंधे से लगाते हुए उसके चूतड़ों तक आया और वहाँ पर लगाने के बाद पैरों की तरफ गया।
उसको मजा आ रहा था, उसकी आवाज नहीं निकल रही थी, बिल्कुल शांत थी।
फिर मैं बोला- आप सीधी लेट जाएँ।
वह पलट गई। क्या बड़े बड़े चूचे थे मस्त और बुर पर झांट भरी पड़ी थीं।
मैं बोला- क्या आपकी झांट साफ़ कर दूँ?
उसने कहा- अब तुम जो करो, मैं तैयार हूँ।
मैं अपने साथ शेविंग किट लाया था, उसको निकाला और गर्म पानी के साथ झाग बनाकर रीमा की झांट पर लगाने लगा। उसको इतना करने से ही सिरहन आने लगी।
फिर क्या था, मैं भी उसको खूब ब्रश से अच्छे से रगड़ने लगा। उसकी बुर के अंदर तक ब्रश जा रहा था। वह लाल हुई जा रही थी।
उसको इतना मजा आ रहा था कि उसी में कहने लगी- आज कुछ कर दो इसके अंदर।
फिर अपना रेज़र लेकर उसके बाल साफ़ करने लगा। बार बार पानी से रेज़र धोना पड़ रहा था।
उसके बाल साफ करने के बाद जब बुर की नोक पर साफ़ करने लगा तब वहां सावधानी से उसके बुर की किनारी एक हाथ से पकड़ी और फिर उसके बाल साफ़ करने लगा। उसके किनारी इतनी चिकनी थी कि बार बार छूट जाती थी हाथ से ! फिर भी उसको पूरा अंदर तक साफ़ कर दिया।
फिर तौलिए से ऊपर पौंछा और फिर उसकी बुर के अंदर डाल कर सब साफ़ किया। वह मजा लेकर सफाई करवा रही थी।
फिर तेल लिया और उसकी छाती पर लगाया और उसकी चूची पर लगाया और मसलने लगा। उसका खूब मालिश करने से ही उसका पानी निकल पड़ा था।
धीरे से नीचे हाथ लगाया और उसके बुर पर हाथ फेरने लगा। तेल हाथ में लेकर उसके बुर पर डाला और उसकी बुर की मालिश करने लगा। उसकी बुर की मालिश करते करते रात के दस बज गए। वह अपनी बुर की प्यास बुझाना चाह रही थी, उसने कहा- अब मालिश कल कर लेना, आज बुर की प्यास बुझा दो।
और फिर मेरे लिंग को अपने हाथ से लेकर उस पर तेल लगा कर उसकी मालिश करने लगी। मेरा लिंग तन गया।
फिर क्या था उसका पानी निकल रहा था, वो थक चुकी थी, क्या करता, डाल दिया और वह भी अपने आप से ही उचक उचक कर मजा लेने लगी।
वह अपना पानी गिराने वाली थी कि मैं बोला- रुको ! और उसकी चूत को अपने मुँह पर सटा लिया, उसने अपना पानी जब गिराया तब वह हल्का गाढ़ा था और हल्का दूधिया था, उसका स्वाद भी थोड़ा अलग था, उसमें अजीब सी महक थी जो मदहोश कर दे। उस पानी को मैं चाट गया। इसे देख कर रीमा के अंदर एक जोश भर गया और वह फिर चुदने को बैठ गई और मेरे लिंग को जो ठंडा हो गया था, चूस कर तैयार किया और फिर अपनी चूत के अंदर डाल लिया।
उसने खूब मजा लिया, मेरा पानी गिरने को था तो उसने कहा- अब आप पानी बाहर न गिरने देना, सब चूत में डालना है, मुझे बच्चा लेना है।
और फिर मैंने अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया। उसने भी अपना पानी गिरा दिया था। मेरा पानी भी उसमें भर कर बाहर आने लगा तो रीमा ने जल्दी से एक तकिया लिया और अपने कमर के नीचे लगा लिया जिससे उसकी चूत ऊंची हो गई और पानी बाहर आना बंद हो गया।
वह भी थक कर चूर हो गई थी, मैं भी। हम लोग नंगे ही सो गये और सुबह देर से जगे।
सुबह ठण्ड ज्यादा थी, मन नहीं कर रहा था कि उठें।
हम लोग देर से सो कर उठे, नहा कर नाश्ता किया और फिर बाहर घूमने निकल गए। सहारागंज में घूमे और कुछ सामान खरीदा और फिर वहीं खाना खाकर घर आ गये और अपने कमरे में जाकर आराम करने लगे। हम दोनों ही सो गये। शाम के चार बजे आँख खुली तो देखा कि रीमा कमरे में ही बैठी है।
मैं बोला- आप कब उठी?
रीमा बोली- बस मैं भी अभी जगी।
मैं बोला- आप कुछ लेंगी चाय या कॉफ़ी।
वह बोली- आप क्या लोगे?
मैं बोला- कॉफ़ी।
रीमा बोली- लाती हूँ !
और चली गई, पाँच मिनट में वह कॉफ़ी बना कर ले आई। हम दोनों ने कॉफ़ी पी और फिर मैंने उसको कहा- चलो कुछ मालिश हो जाये।
वह तैयार हो गई।
कमरे में जाकर उसको बिस्तर पर लेटा दिया और तेल हाथ में लेकर उसके ऊपर डाल दिया।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैं भी चड्डी में था। चुपचाप तेल लगाने के बाद उसकी गांड को तेल पिलाया, साथ में उसके बुर के अंदर तेल भर कर उसको पलट दिया और उसकी बुर की मालिश करने लगा।
उसको पैर को फैला कर लेटने को कहा, उसकी बुर गुलाबी साथ में काले रंग की उसकी पंखुड़ियाँ थीं।
मैं उसकी पंखुड़ियों की मालिश करने लगा। एक पंखुड़ी पकड़ कर दूसरे हाथ से उसकी मालिश कर दी। फिर दूसरी की। तकरीबन 15 मिनट इसी तरह करता रहा फिर उसके दाने की मालिश की। उसका दाना मालिश के कारण लाल हो गया था और उसको मजा आ रहा था। फिर धीरे से उसकी बुर के अंदर उंगली डाल कर उसके अंदर का फूल छुआ। वह गिनगिना गई। धीरे धीरे उसके फूल को मालिश देने लगा।
वह ऐंठ गई और बोली- अब मालिश रोक कर मेरे अंदर अपना फल लगा दो !
और फिर मैंने उसके ऊपर चढ़ कर अपना लण्ड उसके अंदर डाल दिया, उसको कस कर चोदा।
आगे की कहानी अगली बार ......
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HOT SEXY STORY IN HINDI PART-7 {PDF}

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HOT SEXY STORY IN HINDI PART-7

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वो लाइन देती थी

 

प्रेषक :RONIT_OO7

मेरा नाम दीपक, कोटा राजस्थान से 28 साल का हूँ। मेरा लंड नौ इंच का है, न जाने कितनी चूत चोद चुका हूँ।
मैं अन्तर्वासना का पिछले एक वर्ष से नियमित पाठक हूँ। मैंने यहाँ बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं। मैं भी आप सबसे अपना अनुभव बांटना चाहता हूँ। मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती है, उसके साथ पहली बार सेक्स किया था। भाभी की उम्र 38 की थी तब, देखने में बहुत ही सुन्दर, जिस्म 34-28-36 का होगा। कई बार उसको मैंने कपड़े सुखाते देखा छत पर !
मैं उसे देखता था और वो लाइन देती थी।
एक बार मैंने अपने लण्ड के ऊपर हाथ से दबाया तो उसने अपनी चूत पर हाथ रख कर दबाया।
एक दिन मैं ऊपर था तो उसने मुझे अपने घर आने के लिए बोला।
मैंने कहा- आऊँगा तो कुछ करके जाऊँगा ! वो बोली- इसलिए तो बुलाती हूँ, जल्दी आ जाओ, बहुत दिनों से तुमसे चुदना चाहती हूँ।
मैं उसके घर गया तो वहाँ पर कोई नहीं था, वो ख़ुशी से मेरे गले से लिपट गई और मुझे दनादन चूमने लगी। मैं इस हमले के लिए तैयार नहीं था, थोड़ा संभल कर मैंने भी उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। वो गर्म होने लगी थी। मेरे हाथ उसके मम्मों पर चले गए और मैं नाइटी के ऊपर से ही दबाने लगा, उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी।
दबाते-दबाते मैंने उनकी नाइटी उतार दी और मम्मे चूसने लगा। उसकी साँसें अब तेज होने लगी थी। मैंने उसके मम्मों के चुचूकों को अपने होंठों में दबा लिया और धीरे धीरे उन्हें चूसने लगा। उसकी आहें निकलने लगी। पूरा कमरा मानो गर्मी से भर गया।
मैंने उसके चुचूकों को चूसते हुए अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। उसकी चूत चिकनी थी, ऐसा लगा कि उसने तभी बाल साफ़ किए हों !
मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की दरार में पहुँच गई, वो सिसक पड़ी और बोली- अच्छे से करो ! मसल दो आज......
मैं भी पूरी उतेजना में आ चुका था, मेरा हथियार भी तन कर खड़ा हो गया था और उसकी चूत को सलामी दे रहा था। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरी सिसकी निकल गई। वो इतने अच्छे से उसे चूस रही थी कि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। इतना मज़ा कभी मुठ मारने में भी नहीं आया था। वो चूसे जा रही थी और मैं बस असीम आनंद में लीन होता जा रहा था।
मेरे उंगली करने से उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया, उसने कहा- मेरी चूत को चाट !
मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैं बेमन उसकी चूत चाटने लगा। थोड़ी देर में मुझे मजा आने लगा और मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की दरार में फिरानी शुरू कर दी तो उसके मुँह से सीईईईइ की आवाज निकल पड़ी। उसने मेरे सर को कस के दबा दिया और मैं उसकी चूत का मज़ा लेने लगा। 10-12 मिनट में वो झड़ गई और मैंने उसकी चूत का सारा पानी चाट लिया।
फिर मैंने उसे गोद में उठाया और सोफे पर लिटा दिया और उनके मम्मों को चूसने लगा। वो बिलकुल गर्म थी, कहने लगी- अब देर ना कर ! बेचैनी बढ़ रही है ! जल्दी से मेरी बेचैनी शांत कर !
मैं उसका इशारा समझ गया, मैंने कहा- इसे तो तैयार करो !
उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू किया और वो फिर से तन कर खड़ा हो गया, उसने पास से ही एक कण्डोम लेकर मेरे लण्ड पर चढ़ाया और मैं अपना लण्ड उसकी चूत से रगड़ने लगा।
वो बेचैन हुए जा रही थी, कहने लगी- जल्दी कर ! बर्दाश्त नहीं होता !
मैंने ज्यादा देर तड़फ़ाना ठीक नहीं समझा और अपना लण्ड उसकी चूत में डालने की कोशिश करने लगा। वो मुझे देख कर हंसी और बोली- तू निरा बुद्धू है ! नीचे वाले में पकड़ कर डाल !
मैंने डाला और जोर से धक्का दिया तो उसके मुँह से सिसकी निकल पड़ी- सीईऽऽऽ..... कहा- मार डालेगा क्या ? धीरे कर !
लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था, मैंने धीरे-धीरे धक्का लगाना शुरू किया। उसकी सिसकारियाँ निकलनी शुरु हो गई, वो कह रही थी- और जोर से ! और जोर से ! और जोर से !
और मेरा जोश बढ़ता जा रहा था। मैंने तेज रफ़्तार से धक्के लगाने शुरू कर दिए। लगभग 20 मिनट बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, शायद वो झड़ने वाली थी पर मेरा अभी नहीं हुआ था।
उसने कहा- दीपक ईईई ऽऽऽ.....
मैंने अपने धक्के तेज कर दिए थे। थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर गिर गया। थोड़ी देर हम ऐसे ही बेसुध पड़े रहे। फिर वो उठी और मेरे गाल पर चूमा और कहा- इतना मजा मुझे कभी नहीं आया था।
उसके बाद बोली- अब जब मन चाहे चुदाई कर लेना !
अगली बार कैसे उसे चोदा, बाद में लिखूँगा।
मुझे मेल करें !

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थोड़ा दर्द तो होगा ही

 

प्रेषिका :RONIT_OO7

कॉलेज के दिनों से ही मेरा एक बहुत ही अच्छा दोस्त था जिसका नाम सुरेश था। हम दोनों के बीच बहुत ही अच्छी समझ थी, दोनों को जब भी मौका मिलता तो हम चुदाई कर लिया करते थे। जितनी बार भी हम चुदाई करते, सुरेश किसी नए और अलग तरह के आसन के साथ चुदाई करता था। आप कह सकते हैं कि हमने कामसूत्र के लगभग सभी आसनों में चुदाई की, यहाँ तक कि उसकी शादी के बाद भी हम दोनों को जब भी समय और मौका मिलता हम चुदाई किया करते थे।
मुझे आज भी याद है कि एक बार मैं उसके सामने नंगी हो कर उसको उकसा रही थी, तभी उसने मेरे सामने अपनी मुठ मार कर अपना सारा वीर्य मेरे चेहरे और मेरे मम्मों पर छिड़क दिया।
मैंने तब तक कभी भी गाण्ड नहीं मरवाई थी। एक बार एक रात को ब्लू फिल्म देखने के बाद मुझे भी गाण्ड मरवाने की इच्छा हुई। चूँकि मैं जानती थी कि गाण्ड मरवाने के साथ साथ दर्द भी सहन करना होगा इसलिए मैं असमंजस में थी। फिर मैंने निर्णय किया कि मैं अपनी यह इच्छा सुरेश से ही पूरी करूँगी क्योंकि उसका लण्ड तो साढ़े छः इंच लंबा है परंतु उसके लण्ड की मोटाई कोई दो इंच ही है। साथ ही मैं आश्वस्त थी कि चाहे कुछ भी हो जाए सुरेश मुझे कभी कोई तकलीफ नहीं पहुँचाएगा।
एक बार जब उसकी पत्नी अपने मायके गई हुई थी तो हमने जानवरों की तरह बहुत जोरदार चुदाई की। चुदाई के बाद जब हम दोनों बिस्तर में लेटे हुए आराम कर रहे थे तब सुरेश ने मुझे सहलाते हुए मेरी गाण्ड मारने की इच्छा जाहिर की। हालाँकि मैं भी चाहती थी कि वह मेरी गाण्ड मारे परंतु तब तक भी मन में कुछ संकोच था। अब चूँकि मैं सुरेश पर विश्वास करती थी इसलिए मैंने सब कुछ उस पर छोड़ने का फैसला कर लिया। उसने मुझे घोड़ी की तरह बनने को कहा और मैं बिस्तर पर अपने हाथों और घुटनों के बल घोड़ी की तरह बन गई। सुरेश ने मेरी कुँवारी गाण्ड का निरीक्षण करना शुरू कर दिया। कभी वो मेरे मम्मे दबाता, कभी मेरी कमर सहलाता और कभी मेरी गाण्ड को सहलाता चूमता।
फिर उसने मेरी गाण्ड को चाटना शुरू कर दिया। उसके एक हाथ की उँगलियाँ मेरी चूत के होठों को और दूसरे हाथ की उँगलियाँ मेरी गाण्ड के छेद को सहला रहीं थी। मैं जानती थी कि वो सिर्फ अभी सब तरफ से देख रहा है परंतु इसके बाद मेरी गाण्ड को चुदना ही है।
"छोड़ दो मुझे सुरेश....!" मैंने उसको कहा।
"चिचियाना बंद करो शालिनी !" उसने जोर से कहा,"तुम भी जानती हो कि तुम भी मज़ा लेने वाली हो।"
असल में उसका मेरी गाण्ड को देखने का तरीका ही मेरी चूत और मेरी गाण्ड को गरमाने के लिये बहुत था और यह तो सुरेश को दिखाने के लिये सिर्फ एक दिखावा था कि मैं बहुत ही डरी हुई हूं परंतु उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने के लिये मैं भी बेताब थी। चूँकि मैं जानती थी कि एक बार उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुस गया तो वह प्यार से मेरी गाण्ड नहीं मारेगा क्योंकि थोड़ी देर पहले ही उसने मेरी चूत को बहुत क्रूरता से चोदा था और अभी तक मेरी टांगों में हल्का सा दर्द था।
तभी सुरेश ने मेरी चूत से अपनी उँगलियाँ बाहर निकाल कर कहा,"तुम अभी भी उत्साहित हो शालिनी?"
मैं उत्साहित थी क्योंकि उसकी उँगलियाँ मेरी चूत को चोद रहीं थी। लेकिन मैं अभी तक गाण्ड मरवाने के लिए आश्वस्त नहीं थी इसलिए मैंने सिर्फ एक आह सी अपने मुँह से निकाली।
तब वो बाथरुम में गया और तेल की शीशी लेकर आया और बहुत सा तेल अपनी उँगलियों में लगाने लगा,"देखो शालिनी, तुमको थोड़ा सा तो झेलना पड़ेगा और चूँकि तुम मेरी सबसे खास दोस्त हो इसलिए मैं तुमको दर्द नहीं दे सकता।" सुरेश ने अपनी एक ऊँगली मेरी गाण्ड के छेद में डालते हुए कहा।
उसने ठीक कहा था, मुझे दर्द नहीं हुआ पर जैसे ही उसकी ऊँगली का स्पर्श मेरी गाण्ड के अंदर हुआ मैं चिंहुक उठी।
और जैसे ही सुरेश ने अपनी ऊँगली थोड़ी और अंदर तक डाली मेरे मुँह से थोड़ी अजीब सी आवाज़ निकली और मैंने अपनी गाण्ड को जोर से हिलाया। मुझे उसकी वह ऊँगली भी अपनी गाण्ड में बहुत बड़ी लग रही थी और मैं सोच रही थी कि उसका लण्ड मेरी तंग गाण्ड में कैसे घुसेगा और कितना दर्द करेगा।
उसकी ऊँगली से भले मेरी गाण्ड में ज्यादा दर्द नहीं हुआ पर उसका लण्ड तो ऊँगली से ज्यादा लंबा और मोटा था। उसने धीरे अपनी ऊँगली मेरी गाण्ड में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी ताकि मेरी गाण्ड नर्म और अभ्यस्त हो जाए।
मैंने अपना चेहरा तकिये में दबा लिया और कराहने लगी।
"आराम से ! बस अब तुमको मज़ा आने लगेगा शालिनी।" सुरश ने कहा। जैसे ही अपनी दूसरी ऊँगली भी मेरी गाण्ड में डाली, मैं फिर से चिंहुक उठी और उससे दूर होने की कोशिश करने लगी पर सफल नहीं हो सकी। अबकी बार मैं जोर से चिल्ला उठी और तकिये को अपने दाँतों से काटने लगी। अब मेरी कुंवारी गाण्ड के लिया दर्द सहना बहुत कठिन हो गया था क्योंकि मैं जानती थी कि उसका लण्ड मेरी गाण्ड के लिये मोटा है और मैं उसको सहन नहीं कर पाऊँगी।
पर सुरेश रुका नहीं और अपनी दोनों उँगलियों को मेरी गाण्ड के अंदर-बाहर करता रहा ताकि मेरी गाण्ड का छेद कुछ खुल जाए। अब उसने अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू किया और फिर अपने लण्ड के सिरे को मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ने लगा तो मैं बहुत ही उत्सुकता से उसके लण्ड का अपनी गाण्ड में घुसने का इंतज़ार कर रही थी परंतु उसने अपना लण्ड मेरी ऊपर उठी हुई गाण्ड की अपेक्षा मेरी चूत में डाल दिया। मैं खुशी के मारे जोर जोर से अपने को पीछे की ओर धकेलने लगी ताकि उसके लण्ड का पूरा मज़ा ले सकूँ।
कुछ धक्कों के बाद उसने अपना लण्ड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर धक्का देने लगा।
जैसे ही उसके लण्ड का सिरा मेरी गाण्ड में घुसा, मैं जोर से चिल्लाई और उससे दूर जाने की कोशिश करने लगी परंतु उसने मेरी कमर से मुझे पकड़ लिया और मैं उसकी मज़बूत गिरफ्त से छूट नहीं पाई। उसके लण्ड के सिरे ने मेरी गाण्ड के छेद को उसकी उँगलियों से भी ज्यादा खोल दिया था। हालाँकि उसका लण्ड तेल और मेरे चूत के रस से बहुत ही चिकना था परंतु फिर भी मुझे दर्द हुआ।
मैंने उसको छोड़ देने को कहा परंतु सुरेश ने मेरी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और मेरी गाण्ड के छेद को अपने दोनों हाथों से और खोल कर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालने में लगा रहा।
जैसे ही उसका लण्ड थोडा सा और अंदर गया तो मैंने अपनी गाण्ड के छेद को अपने पूरे जोर से भींच लिया ताकि उसका लण्ड बाहर निकाल जाए पर सुरेश ने मेरी गाण्ड पर धीरे धीरे चपत मारनी शुरू कर दी और चपत मारते हुए कहा कि मैं अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ दूँ।
जैसे ही मैं गाण्ड के छेद को हल्का सा ढीला किया उसका लण्ड और अंदर तक घुस गया। अब उसने मेरी कमर को अपने मज़बूत हाथों से पकड़ लिया और एक ही झटके में बाकी का लण्ड मेरी कुंवारी गाण्ड में घुसेड़ दिया।
मेरी चीख निकल गई, लगा कि जैसे जान ही चली जायेगी।
तब थोड़ी देर तक सुरेश ने कोई हरकत नहीं की, केवल मेरी गाण्ड और पीठ को सहलाता रहा और फिर उसने पूछा,"क्या बहुत दर्द हो रहा है? लण्ड बाहर निकाल लूँ क्या?"
मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था परंतु मैं जानती थी कि सुरेश अपना लण्ड किसी भी हाल में मेरी गाण्ड से बाहर नहीं निकालेगा। इसलिए तकिये में अपना मुँह दबा कर सिर्फ कराहती रही। थोड़ी देर के बाद सुरेश ने अपना लण्ड धीरे-धीरे बाहर निकालना शुरू किया तो मुझे लगा कि शायद अब मैं छूट जाऊंगी पर वह सिर्फ एक खुशफ़हमी थी। कोई आधे से ज्यादा लण्ड बाहर निकलने के बाद उसने फिर से लण्ड मेरी गाण्ड में डालना शुरू कर दिया।
मैंने सुरेश को कहा- मुझे बहुत दर्द हो रहा है !
तब सुरेश ने कहा कि अब वो धीरे धीरे करेगा और जैसे ही उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में दुबारा डालना शुरू किया तो ऊपर से और तेल डालने लगा। तेल डालने से मेरी गाण्ड का छेद और भी ज्यादा चिकना हो गया और अब उसका लण्ड आराम से गाण्ड के अंदर घुस रहा था। चार पाँच बार उसने बड़े ही धीरे धीरे अपना लण्ड मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर किया और फिर मेरी पीठ ओर गाण्ड को सहलाते हुए सुरेश ने पूछा,"अब भी बहुत दर्द हो रहा है क्या शालू?"
पहले जहाँ मुझे दर्द हों रहा था, वहीं अब मुझे भी मज़ा आ रहा था और अब मैं भी गाण्ड मरवाने का आनन्द ले रही थी। मैंने अपनी पूरी शक्ति से अपनी गाण्ड को सुरेश की तरफ धकेला और कहा,"बस ऐसे धीरे धीरे ही करना इससे दर्द नहीं होता !"
"ठीक है तो मैं रुक जाता हूँ और अब तुम आगे पीछे हो कर अपने आप से गाण्ड मरवाओ !" सुरेश ने कहा।
सुरेश ने मेरी कमर को पकड़ लिया ताकि लण्ड बाहर ना निकल जाए और मैंने धीरे धीरे से अपने आप को आगे पीछे करना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद जैसे सुरेश का संयम टूट गया और उसने कहा,"बस शालिनी, अब मेरी बारी है। अब मैं अपने तरीके से तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।"
सुरेश ने एक जोरदार धक्का मारा तो मैं समझ गई कि अब गाण्ड की असली चुदाई का समय आ गया है। सुरेश ने मुझे अपना मुँह तकिये में दबाने को कहा और जैसे ही मैंने अपनी गर्दन नीचे की ओर की, उसने अपनी गति बढ़ानी शुरू कर दी और अब जोर जोर से मेरी कमर को पकड़ कर धक्के देने लगा। मेरी आह निकल रही थी। धीरे धीरे मैंने अपना एक हाथ अपने नीचे किया और अपनी चूत के होठों को छुआ। मुझे जैसे बिजली का झटका लगा। फिर मैंने अपनी हथेली अपनी चूत पर रगड़नी शुरू कर दी। अब मैं पूरी तरह से गाण्ड मरवाने का मज़ा ले रही थी और तकिया में मुँह दबाए चिल्ला रही थी। और सुरेश अब अपने असली रंग में मेरी गाण्ड मार रहा था।
"चोदो और जोर से चोदो ! सुरेश मेरी गाण्ड को चोदो ! सुरेश ओहहहह ओहहहह!!!! मैं झड़ने वाली हूँ सुरेश!!!" मैं जोर से चिल्लाई और झड़ने लगी।
अब सुरेश भी क्रूरता से मेरी गाण्ड में अपना लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। एक बार फिर उसने अपना लण्ड अपनी पूरी शक्ति से मेरी गाण्ड में धकेल दिया और मेरी गाण्ड को जोर से दबाते हुए उसमें ही झड़ने लगा। उसका गर्म-गर्म वीर्य मेरी गाण्ड में भर रहा था। तब वो मेरे ऊपर ही गिर पड़ा उसका लण्ड अभी भी मेरी गाण्ड में ही था और हम दोनों हांफ रहे थे।
"देखा?" सुरेश ने मेरी पीठ को चूमते हुए कहा,"मैंने कहा था ना शालिनी कि तुमको बहुत मज़ा आएगा !"
मैं हल्के के कराही, मेरी गाण्ड अभी भी उसके ढीले होते हुए लण्ड की चुदाई से दर्द कर रही थी।
उस रात उसने कुल तीन बार मेरी गाण्ड मारी और अगले दो दिनों तक मेरी टांगों और गाण्ड में दर्द होता रहा।
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Tuesday 13 March 2012

HOT GIRLS OF THIS WORLD.. :p PART-2

HOT GIRLS OF THIS WORLD ... :p PART-2

Get to know the girls: 15 facts about breasts

 I like to think I know a lot about boobs. Although it seemed like I had to wait forever for them to appear (freshman year can be so tortuous for the flat-chested), being fashionably late did not prevent my girls from arriving in full splendor. They've been there --really, really there -- for more than twenty years now, at the center of many conversations, as a conduit for nourishing my child, as both an unwanted and welcome attention-getter, as a new source of pain when I started running, as a glorious stabilizer of some of my favorite summer tops, and as the reason I have invested in many boxes of safety pins just to keep the space in between my shirt buttons from gaping. 

 Most of my friends have them and all of my friends talk about them. Once I became a mother, the conversations about breasts went from somewhat-shushed to seemingly open to much-publicized opinion from everyone. Between the OB/GYN, the lactation specialist I saw for six months, the mammogram techs, the cystic breast specialist I now see, and the nice lingerie lady who can fit me in the perfect-sized bra just by looking at my chest, my boobs has a bigger team of professionals than any other part of my body. 
 Given all of that, I still don't know it all. I need the card hanging in my shower to remind me to examine my breasts monthly. I still get confused about how to calculate my cup and strap sizes. I am continually taken aback when I get the telltale tenderness every month. And I am even amazed, after all these years, to see all that cleavage pile up in some outfits. 
 As out there as they are, I have a lot to learn about my breasts. This is why I was so mesmerized by this infographic making the rounds on the interwebs. These 15 little points (ahem) reveal a lot about how much more there is to know about the body part most of us feel very well-acquainted with. 
 These facts have raised a lot of questions for me -- If the average cup size is really this big, why do the cute bras suddenly get matronly and ugly exactly at this size? Who in the world thought glass balls would really work out as a good implant material? And the whole saggy boob-smoker thing? Weird. 



HOT SEXY STORY IN ENGLISH-2

Mom's Photoshoot..!!


I sat in silence with my family eating breakfast. Everybody had different thoughts on their mind. My husband was flying out to Boston this morning for a week. My son and daughter were probably thinking of school. My thoughts carried me to that same time last night when my son asked me if I could pose for him, so he could take some pictures of his bike. How did he put it? He needed a babe in the picture with his bike. He was a teenager, barely turned 18, and his hobby was to ride motocross bikes. Last year me and my husband bought him a Honda bike. Since than, all his spare time was dedicated to that.

I agreed last night to pose for him. I thought it was important to him and it seemed harmless enough. That was before he told me that he wanted me to pose in a string bikini. I was so shocked, I didn't know how to answer, I didn't say anything as he walked away.

I didn't want to do it, it just didn't feel right, but I decided to go along as part of me deep down inside was saying go ahead. Every time I thought of posing in my bikini a small shiver ran through my body, an excitement I haven't felt in a long time.

My husband and I were not sexually active. We made love maybe once a month and it was usually too fast for me to have an orgasm. I masturbated when no one was around, but it just wasn't the same as doing something real, as having a real cock slide in and out of me.

I finished doing all my work that day and just tinkered around the house waiting for tonight. I realized that maybe I should shave down there, just in case my son wants to take a close shot of me and the bike, it would be embarrassing to have some of my pubic hair sticking out.

I got the razor out and somehow got a little overzealous, because soon, I had all my pubic hair completely shaved. My pussy was completely bald, felt smooth and I loved the feeling when I rubbed it with my hands. I ran my fingers down past my pussy and spread my legs open wide.

I felt my tiny little asshole and the area around it; it always felt so good to rub that dirty little spot. Feeling some hair there I decided to shave that too. I propped up the mirror and bending over with my back arched, looked behind.

My heart stopped and my pussy shivered. I was looking at myself from behind. My legs were spread wide apart, my pussy opened up and already wet, and nestled between my two round ass cheeks was my asshole.

I have never looked at myself that way before, but now I couldn't take my eyes off of it. The combination of my dark, wet pussy lips and that wrinkled hole above was mesmerizing. Slowly I picked up the razor and without taking my eyes off of my ass shaved every hair that was there.

It felt so naughty to run the razor in between my ass cheeks and down my crack. I was breathing hard and I noticed that my pussy juices were dripping and running down my thighs. Oh God, I was discovering a totally new side of myself.

When I was done with out changing position, I ran my fingers down the crack of my ass feeling the smoothness. I rubbed my asshole while pinching my nipples. I was surprised that the feeling was so much greater than just rubbing my pussy. It seemed like my legs opened up even more on their own, I was so spread, my finger rubbing my anal hole bringing me to a powerful orgasm.

I was lost in this moment, this sexual act, I felt my ass open and realized with shock that my middle finger was stuck deep inside my asshole and I was finger fucking myself. My body shuddered as a powerful orgasm swept over me. I collapsed on the bed, and let the wonderful glowing feeling envelop my body.

I rested, thinking of how good this felt as it was the first time I ever had anything in my ass. I was a little ashamed because of my upbringing and my religious beliefs, but I couldn't deny the feeling it brought me. It didn't hurt, it just felt good and it gave me the best orgasm I ever had before.

At dinner time my daughter told me she will be spending the night with her girlfriend and that she would go to school from her house tomorrow morning. I felt a little nervous, so during dinner I had several glasses of wine to make me relax. Before I knew it, I drank the whole bottle of wine.

When my daughter left my son asked if I was ready to pose. I was feeling relaxed with all the alcohol I drank and told him I would change and be right back. He said that we would do the shooting in the garage.

After slipping into my bikini, I looked at myself in the mirror. My heart stopped as I saw how much of my body I was showing. I gathered my strength and walked downstairs in my bathrobe. Tommy was already waiting near his bike and he had several lights set up around. His bike was the center of everything. "Hey mum, I'm ready, go ahead and stand in front of the bike" he told me. With my heart racing I moved over to the bike. I stood there looking at him still deciding if I should do it or not. "Well mum...you're gone have to take that robe off" he said looking at me innocently. I took a deep breath and took it off, throwing it to the side. I saw his eyes widen as he held his breath.

Now I have nice breasts, they're about 36 DD, which are the cause of attention with a lot of men when I go out. They're natural and don't hang down. My son was snow staring at them which were covered only by two thin pieces of material. The material wasn't big enough, and all the sides were rolling out, bare for him to see.

My bikini bottom was in no better shape. It was a triangle that covered my pussy and a tiny bit of the pubic area above it, but that's it. It was held together by strings that went high over my full hips. The material hugged my pussy tight and my son could see the outline of my mount with the gash in the middle.

Because of the alcohol, I was not thinking about it at the time. I was exited that he would take my pictures. I was ready for him.

"So how do you want me to stand, sweetheart?" I asked.

"just like that...spread your arms out...yeah"

He was snapping pictures as I held still. He was getting closer and closer to me and soon I felt that I was the center of his pictures not his bike.

"Mom can you put your foot on the foot peg and lean back"

I did as he said, which of course opened my legs, showing my son a little more of my crotch. As I leaned back my top rode up and I could tell my aureoles were showing. I saw his eyes get bigger and the camera pointing at my tits. I was intoxicated, my head was spinning and I didn't think straight enough to stop this.

"Mom this is perfect...spread your arms out...yessss...I have an idea" He said suddenly.

I looked at him already quite exited but trying not to show it.

"The bike is really steady, can you climb on top of it facing the back and lean back on the gas tank and handle bars? I want you laying on the bike facing back"

I though about for a minute. God this would be naughty, I would be laying back with my legs slightly spread. Just thinking about it was making my pussy wet.

"Ok honey, but you're going to have to help me get on top of it" I said eyeing the bike and best way to get up there.

My son quickly came up and grabbed my arm. Supporting myself with my other hand, I swooped my leg over the bike sitting down on the bike seat. Tommy's eyes were on my crotch, I could tell he was looking for a glimpse of my pussy. Suddenly I saw his eyes get wide and felt him hold his breath.

Alarmed I looked down at my crotch and saw that my bottom shifted slightly to the side and now raveled one of my pussy lips. Oh god, oh no, my son could see my pussy. I knew I had to quickly cover myself, but couldn't take my hands off the bike and Tommy in fear of loosing my balance.

"Tommy, I feel a little unsteady like this, maybe I should get down" I said nervously.

"Mom, you can hang on to sides of the engine to hold yourself steady" With that he placed my hand on the engine.

I grabbed on to it with both hands, as I felt my body sliding to the sides. Not being able to cover my pussy, I closed my legs together. Doing that I was loosing my balance, so I had to open them up. I soon found out that the further I spread my legs open, the easier it was to stay on top of my son's bike without falling.

Soon my legs were spread open as if I was posing for a dirty magazine, but it was only to keep me from falling. God if I only didn't drink all that alcohol, I would have been more steady.

Click, click, click. I heard the camera snapping pictures, and saw my son in front of me zooming on my crotch. No, my mind screamed. Again I tried closing my legs but couldn't. My body was sliding off the bike. I ended up quickly spreading my legs, even further this time, to hold my balance.

"Tommy, I really have to get down" I said alarmed, but with no conviction.

The truth was I felt very sexually exited. Showing my body off to the camera was a huge turn on for me. It made me feel naughty, dirty and somewhat like a slut. As soon as I though of myself as a slut, my pussy flooded with juices. The secret fantasy I always masturbated to flooding my mind.

I looked down at my crotch again and saw that my bottom has moved completely to the side, exposing my pussy in its entirety. Exposing my wet, bold pussy to my son. Oh No... I looked up at him and saw he was only taking pictures of my pussy.

"Tommy...no...stop taking pictures" There was no use pretending he couldn't see my pussy.

"Mom it's OK, you look beautiful...and this is digital...we can erase these pictures at anytime" Snap, snap, snap.

He wasn't stopping.

"Tommy, this is wrong...you can't do this, I can't do this...help me get down" I kept my legs spread open as I looked at him.

His soft dark eyes moved from my exposed wet pussy to my face. He looked at me, first time taking his eyes off my crotch area.

"Mom just a few more pictures...you look great...and I promise I'll erase these pictures as soon as we're done"

Oh god. I closed my eyes trying to think of a way to stop this and have him help me get down. Was I really trying to stop this? Slut...I'm being a slut for him...my son's slut.

A low moaned escaped my lips as my pussy quivered at the thought. I opened my eyes alarmed that he heard me moaning, but all my son was doing was taking pictures of my pussy.

He got closer and reaching out pulled on the strings tied at my hips. What?????? He wants to take my bikini bottom off????? No I can't let him, he's my son, this is so wrong!!!

"Tommy...No..."

I barely heard my whisper. Why didn't I scream this out. Why didn't I jump off this damn bike? My mind was confused and drugged from the alcohol I drank. My body on the other hand wanted more attention.

I was looking into his eyes, and he was looking into mine as his hands untied both sides of my bikini bottom. Why didn't I stop him? With my feet on both foot pegs of the bike, and my legs spread open, he reached out and hooked his finger under the material right at my pussy.

I shivered with excitement as I felt his finger touch my pussy lips. The touch was very brief as he pulled the material off of me. Without realizing it, I lifted my ass slightly off the seat so he could pull them from under me.

He stepped back looking at me. His eyes peeled to my crotch. I could barely breathe, my legs were trembling, and I could feel my pussy juices running out of my pussy and down to the bike seat below.

"Mom...you are so wet down there" He said as if he was looking at something for the first time in his life.

"Tommy...I need to get off this bike"

Snap, snap, snap. He was taking pictures of me like that as if he didn't hear me.

"Mom, lift your legs up for me" He looked up at me with a pleading look on his face.

"No Tommy...I can't...please...help me down"

"Please Mom"

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